कड़ियाँ

  • 5.1k
  • 1.1k

दादाजी नहीं हैं, क्या राज को उनके विषय में इस तरह सोचना चाहिए नहीं! मृत व्यक्ति की तो केवल बड़ाई की जाती है. उनके गुण गाये जाते हैं. आज यही हो रहा होगा वहां. हर रिश्तेदार दादाजी की शान में कसीदे पढ़ रहा होगा. दादाजी तिहत्तर के होकर गये हैं - पूरा जीवन जीकर, किंतु रोने वाले तब भी उनके असामायिक निधन पर शोक प्रकट कर रहे होंगे. लेकिन क्या राज भी उनसे लिपटकर रो पायेगा आखिर क्यों वह दादाजी के प्रति सहज नहीं हो पाता दादी के मरने पर तो राज बहुत रोया था. पर दादी तो उसे प्यार भी बहुत करती थीं. उसकी बड़ी बहन की शादी पर देने के लिए दादी ने एक सोने का सेट बनवाया था. आखिर दीदी उनकी सबसे बडी पोती जो थी. वह तो पांच हज़ार कैश भी देने वाली थीं. पर विवाह से छः-सात महीने पहले दादी सबको रोता हुआ छोड़ ग़यीं.