हर अकादमिक सत्र के लिए आर्थिक सहायकता राशि का प्रावधान होता ही है। इसी के तहत विभिन्न गोष्ठियों और सम्मेलनों का आयोजन विभाग करते हैं। उन्हीं मदों में भाषोत्सव नाम कुछ और भी सोचा जा सकता है लेकिन हमें इसे करने की आवश्यकता है। यदि हम भाषायी विविधता का उत्सव मनाना चाहते हैं तो। क्योंकि अकादमिक भूगोल से बहुत तेजी से भाषायी वैविध्यता खत्म हो रही है। इसका एक प्रमाण उच्च शैक्षिक संस्थानों में होने वाले भाषायी शोधों को देख का अनुमान लगाया जा सकता है।