तुम्ही बताओ कैसे कह दूँ!अपने मन की व्यथा या तुम्हारे मन की व्यथा!कहना तो बहुत कुछ है शब्दों की सीमाओं के परे तक,पर उन शब्दों से आगे तक पहुँचने में वक्त है अभी। इसीलिए तो सबसे कहता हूँ,पूछता हूँ कि कैसे कह दूँ