ये जो जिंदगी होती है ना जिंदगी........पैदा होने के बाद पहली बार रोने से लेकर आखरी बार सोने तक बीच का जो समय होता है जिसे नॉर्मली लोग जिंदगी या लाइफ कहते है, जिसके बारे में कहा जाता हैं कि धीरे धीरे ये बदल जाती है पर हकीकत तो ये है कि...... .....ये कभी नही बदलतीं, ये जिंदगी हमेशा ऐसे ही रहती है....हां अगर कुछ बदलता है तो वो होती है प्रिओरिटी यानि प्राथमिकताएं या जरूरते ।