सियाह हाशिए - 4

  • 4.2k
  • 1.5k

मंटो का जन्म लुधियाना जिले के समराला नामक स्थान में 11 मई, 1912 को एक कश्मीरी मुस्लिम परिवार में हुआ था। वह अपने पिता की दूसरी बीवी की आखिरी सन्तान थे। उनके तीन सौतेले भाई भी थे जो उम्र में उनसे काफी बड़े थे और विलायत में तालीम पा रहे थे। वह उनसे मिलना और बड़े भाइयों जैसा सुलूक पाना चाहते थे, लेकिन यह सुलूक उन्हें तब मिला जब वह साहित्य की दुनिया के बहुत बड़े स्टार बन चुके थे। …और अन्त में… 786 कत्बा यहाँ सआदत हसन मंटो दफ़न है। उसके सीने में फ़न्ने-अफ़सानानिगारी के सारे अस्रारो-रमूज़ दफ़्न हैं— वह अब भी मनों मिट्टी के नीचे सोच रहा है कि वह बड़ा अफ़सानानिगार है या खुदा। सआदत हसन मंटो 18 अगस्त, 1954 क्या यह चौंकाने वाला तथ्य नहीं है कि यह ‘कत्बा’ लिखने के ठीक 5 माह बाद 18 जनवरी, 1955 को सुबह साढ़े-दस बजे मंटो को लेकर एंबुलेंस जब लाहौर के मेयो अस्पताल के पोर्च में पहुँची डाक्टर लपके—लेकिन…शरीर को मनों मिट्टी के नीचे दफ़्न कर देने की खातिर मंटो की पवित्र-आत्मा उसे छोड़कर बहुत दूर जा चुकी थी। (इसी पुस्तक में संकलित लेख सियाह-कलम मंटो और ‘सियाह हाशिए’ से)