प्रतिज्ञा अध्याय 3

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प्रतिज्ञा उपन्यास विषम परिस्थितियों में घुट घुट कर जी रही भारतीय नारी की विवशताओं और नियति का सजीव चित्रण है। प्रतिज्ञा का नायक विधुर अमृतराय किसी विधवा से शादी करना चाहता है ताकि किसी नवयौवना का जीवन नष्ट न हो। ..। नायिका पूर्णा आश्रयहीन विधवा है। समाज के भूखे भेड़िये उसके संचय को तोड़ना चाहते हैं। उपन्यास में प्रेमचंद ने विधवा समस्या को नए रूप में प्रस्तुत किया है एवं विकल्प भी सुझाया है। अमृतराय आर्य - मंदिर में एक व्याख्यान सुनकर प्रतिज्ञा करते हैं की वे एक विधवा से ही शादी करेंगे। इस प्रतिज्ञा से लालाजी नाराज हो जाते है कि यह संप्रदाय के खिलाफ है। पर प्रेमा उसके निर्ण्य का स्वगत करती है और उस से अपना प्रेम त्याग देति है।