अपनी कन्या का विवाह कर देंगें । यह सुनकर चोर साधु का रुप धारण कर गंगा तट पर जा बैठा । दूसरे दिन जब राजा के अधिकरी एक-एक करके सभी साधुओं से विनती करने लगे तब सभी ने विवाह करना अस्वीकार किया । जब चोर के पास आकर अधिकारियों ने निवेदन किया तब उसने हां ना कुछ भी नहीं कहा ।