प्रतिज्ञा अध्याय 1

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प्रतिज्ञा उपन्यास विषम परिस्थितियों में घुट घुट कर जी रही भारतीय नारी की विवशताओं और नियति का सजीव चित्रण है। प्रतिज्ञा का नायक विधुर अमृतराय किसी विधवा से शादी करना चाहता है ताकि किसी नवयौवना का जीवन नष्ट न हो। ..। नायिका पूर्णा आश्रयहीन विधवा है। समाज के भूखे भेड़िये उसके संचय को तोड़ना चाहते हैं। उपन्यास में प्रेमचंद ने विधवा समस्या को नए रूप में प्रस्तुत किया है एवं विकल्प भी सुझाया है। बनारस में अमृतराय नामक सज्जन रहते हैं। वे पेशे से वकील हैं पर उन्हें वकालत से ज्यादा समाज - सेवा ही पसंद है, दाननाद उन्के मित्र हैं। अमृतराय का विवाह शहर के जाने माने रर्इस लाला बदरी प्रसाद की प्रथम पुत्री से होता है पर प्रसव - काल में ही उसकी और बच्चे की भी मौत हो जाती है।