ये कहानी उस पत्नी की है जो अपने अधिकार का प्रयोग करना बखूबी जानती है । वह अपने पति से समय की माँग देखते हुए प्रेमिका के साथ पकडे जाने।पर लड़ती नहीं है , क्योंकि उसे पता है उस समय ऐसा करने पर वह और उपेक्षिता बन सकती है । उसे सजा देने का ये समय उचित नहीं है , परंतु प्रेमिका के साथ वह कोई हमदर्दी नहीं दिखाती । उसी वक़्त सजा देती है और पति को कुछ न कहकर सदा के लिए उसकी नज़रें अपने सामने झुकवा देती है ...