सारा शहर ऊंची-ऊंची इमारतों से घिरा पड़ा है-ईटों का जंगल। उन माचिसनुमा बिल्डिगों में मैं भी अपने लिए एक घोंसला तलाश रहा था। रोज दफ्तर के बाद दलालों के आगे घिघियाता-सा पहुंच जाता। सबके सब साले मक्कार थे। पंद्रह-बीस हाजर की डिपाजिट और छ: से आठ सौ रुपये किराया-इससे नीचे तो कोई बात ही नहीं करता। और यह हाल था उपनगर का। शहर में तो कोई किराये पर फ्लैट देने की बात ही नहीं करता।