आधुनिक सोच की वशीभूत एक प्रेम कहानी

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आधुनिक सोच की वशीभूत एक प्रेम कहानी ऐसी भी ......नायिका अभिव्यक्ति की प्रेम पाती अपने नायक वक्तव्य के नाम .... सुनो वक्तव्य ...कोई जरूरी तो नहीं कि प्रेम कहानियाँ महज फिल्मी ही हों प्रेम कहीं और कभी भी हो सकता है कई बार कहा सुना सा तो कभी दबा हुआ सा.. .मुझे लगता है कि एक मीठी गुदगुदाते अहसास की छुअन है यह प्यार इसको महसूस करने के लिए दिल और दिमाग को भी ढील देनी पड़ती है वरना यह अहसास भी पास से गुजरती हवा की तरह छूकर गुजर जाता है और जिन्दगी को इसका अहसास भी नहीं होने पाता ।