Baarish Mein Bheegti Hui Ladki

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बारिश में भीगते हुए मैंने उसके धड़कते हुए सीने को भी देखा है. इसके बारे में मैं ज़्याद: कुछ नहीं कह पाऊँगा, क्योंकि उसके नाज़ुक-नाज़ुक उभारों को देखते ही मेरा दिमाग़ बन्द हो जाता है. और फिर ऐसा लगता है कि मेरे दिमाग़ की हर नस में ख़ून तेज़ी से दौड़ने लगा है और कहीं एक जगह आके सब कुछ रुक गया है. फिर मैं अपनी नज़र उसके हौले-हौले साँस लेने की वजह से ऊपर-नीचे उठते-गिरते उभारों की झलक अपनी आँखों में बसाए उसके सीने से अपनी नज़र हटा लेता हूँ.