विवाह एक परंपरा

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Bharat Malhotra bigb17871@gmail.com विवाह एक परंपरा मनुष्य अपने जन्म से मृत्यु तक संबंधों के जाल में उलझा हुआ है। हम जिसे समाज कहते हैं वो और कुछ नहीं संबंधों का ही ताना-बाना है। कुछ संबंध हमारे जन्म से ही हमारे साथ अनिवार्य रूप से जुड़ जाते हैं जिन्हें हम जैविक संबंध कहते हैं जबकि कुछ संबंधों का चुनाव हम स्वेच्छा से करते हैं जिन्हें सामाजिक संबंध कहा जाता है। ये सामाजिक संबंध हमारे जीवन को सरल एवं सुसंस्कृत बनाने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। मित्रता एवं विवाह ऐसे ही प्रमुख सामाजिक संबंध हैं जिनके बिना हम जीवन की कल्पना भी