हिन्दी शिक्षा और शिक्षण

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हिन्दी शिक्षा और शिक्षण की वर्तमान स्थिति को बिना समझे हम हिन्दी शिक्षा कैसी दे रहे है इसका इल्म नहीं होगा। हमें इस बात की भी तहकीकात करनी होगी कि हिन्दी के विकास और संवर्धन में हिन्दी शिक्षा और शिक्षण की क्या स्थिति है। अमूमन हम यह मान लेते हैं कि कविता,कहानी,उपन्यास आदि विधागत लेखन से हिन्दी शिक्षा-शिक्षण के उद्देश्यों को हासिल किया जा सकता है। यदि ऐसा है तो संभव है कि हम एक बड़ी भूल कर रहे हैं। क्योंकि उक्त विधाओं में गति और प्रसिद्धी लेखकीय क्षमता और अभ्यास से अख़्तीयार की जा सकती है किन्तु बच्चे को हिन्दी पढ़ने-लिखने में यदि परेशानी का सामना करना पड़ता है तो वहां कविता,कहानी आदि उसकी मदद ज्याद नहीं करतीं। व्याकरण और मानकीकृत वर्तनियों की कसौटी पर बच्चे की हिन्दी की समझ जांची परखी जाती है। यहां समझने की आवश्यकता यह है कि कक्षा में हिन्दी की शिक्षा कैसी दी जा रही है। उदाहरण के तौर पर 2006 से पूर्व 10 वीं और 12 वीं की हिन्दी के प्रश्न पत्रों के सवालों की प्रकृति को समझने की कोशिश करें तो एक चीज मिलेगी कि तब हमारा ध्यान भाषायी कौशलों का विकास करना था।