पंजाबी कहानी मृगतृष्णा एस. बलवन्त अनुवाद : सुभाष नीरव उसका नाम तो मिस्टर बसरा था, पर लोग उसे प्यार से बसु पुकारते थे। कई दिनों से बसु दफ्तर नहीं आया था। रमाकांत हर रोज उसका इंतजार करता। सोचता...पता नहीं क्या हो गया उसे? वह तो कभी भी दफ्तर से छुट्टी नहीं करता था। रमाकांत ने सोचा कि आज वह बसु के घर जायेगा। जब से वह इस दफ्तर में आया था, उसकी दोस्ती रमाकांत से हो गई थी। दोनों एक साथ खाना खाते, शाम को घर के लिये भी एक साथ ही चलते। दिन भर की बातें साझी करते। रास्ते