Mary farnandies kya tum tak meri aawaz pahunchti h

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कहानी मेरी फर्नांडिस क्या तुम तक मेरी आवाज पहुंचती है ? धीरेन्द्र अस्थाना बोरीवली... कांदिवली...मालाड...गोरेगांव... मेरी फर्नांडिस। मेरी फर्नांडिस? हड़बड़ा कर मेरी आंख खुल गई। गाड़ी जोगेश्वरी पर रुकी थी। गोरेगांव से अगला स्टेशन जोगेश्वरी ही होता है और गाड़ी जोगेश्वरी पर ही रुकी भी थी। तो फिर? गोरेगांव के बाद मेरी उनींदी स्मृति में जोगेश्वरी के बजाय मेरी फर्नांडिस क्यों उतर आई? गाड़ी फिर चल पड़ी थी... मैं सिर झटक कर फिर नींद में था। स्मृति मेरी नींद में नींद के बाहर खड़ी होकर सक्रिय थी। मेरी फर्नांडिस? मैं भी छलांग लगाकर अपनी नींद से बाहर आ गया। गाड़ी