कड़वाहट !!

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मैं हमेशा की तरह दरवाजे की सीढियों पर बैठी दोनों बेटों को सीने से लगाये अपने भाग्य को कोसते हुए आंसू बहाए जा रही थी कि मैंने देखा पिताजी और भैया मेरे सामने खड़े हैं मैं अचकचा सी गयी और हैरान परेशान झट उठकर आसुंओं को छिपाते हुए दरवाजे को खोलने का प्रयास करने लगी लेकिन भैया और पिताजी मुझे ऐसा देख समझ ही नही पा रहे थे कि क्या है ये सब ,अभी तो सब ठीक ठाक ही छोड़ कर गए थे आखिर ये सब है क्या मेरे दोनों बेटे फफक कर रो पड़े और नाना नाना कहते पिताजी से जा चिपके भैया ने भी उन्हें गोदी में उठा लिया और आंसू पोछते हुए पूछा क्या है ये सब मेरे छोटे बेटे ने रोते हुए भैया से कहा , मामाजी पापा ने मम्मी को बहुत ........