पंजाबी कहानी जीत जिन्दर अनुवाद : सुभाष नीरव नींद मेरे वश में नहीं रही। मेरे सामने तो प्रश्नों की विशाल दुनिया खड़ी है। मसलन — औरत को मौत से डर क्यों नहीं लगा ? क्या वह पागल थी ? क्या उसने मौत के अर्थों को समझ लिया था ? क्या वह अपने बच्चे की बीमारी पर इतनी चिंतित थी कि उसको मौत का डर ही भूल गया था ? क्या कार में मरने वालों में उसका खाविंद भी था ? वह कौन था ? वह कहाँ से आई थी ? वह कहाँ से चली थी ? वह किनके साथ जा