घीसू जयशंकर प्रसाद की कहानियाँ जयशंकर प्रसाद © COPYRIGHTS This book is copyrighted content of the concerned author as well as Matrubharti. Matrubharti has exclusive digital publishing rights of this book. Any illegal copies in physical or digital format are strictly prohibited. Matrubharti can challenge such illegal distribution / copies / usage in court. घीसू सन्ध्या की कालिमा और निर्जनता में किसी कुएँ पर नगर के बाहरबडी ह्रश्वयारी स्वर-लहरी गूँजने लगती। घीसू को गाने का चस्का था। परन्तुजब कोई न सुने, वह अपनी बूटी अपने लिए घोंटता और आप ही पीता। जब उसकी रसीली तान दो-चार को पास बुला लेती,