दो बेलों की कथा

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कुछ श्रेष्ठ कृतियां समुचित प्रकाश-प्रसार में नहीं साहित्य के इतिहास में अनेक विसंगतियां घटित होती रहती हैं, कभी-कभी कुछ श्रेष्ठ कृतियां समुचित प्रकाश-प्रसार में नहीं आ पातीं और कुछ कृतियां जग-व्यापी होकर लोकप्रियता के शिखर छू लेती हैं। दो बैलों की कथा 1931 में मुंशी प्रेमचंद द्वारा रचित हिन्दी कहानी है।