राधा के संजोग में श्यामसुन्दर

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विधवा राधा का पुनर्विवाह की कहानी है. शांत , गंभीर शिक्षित राधा को शादी के बाद वैवाहिक जीवन का सुख नहीं मिला . ससुराल की दकियानूसी विचारधारा सास ननदों के ताने , पति की उपेक्षा से गुलामी का जीवन व्यतीत करना पड़ा , तीन साल के पुत्र के साथ ससुराल वाले उसे निकाल देते हैं अपने माँ - पिटा की छात्र छाया में रह नौकरी कर जीवन यापन करती है . कम्प्यूटर पर अपने लिए वैवाहिक साईट पर जीवनसाथी को तलाशती है , जो उसे मिल जता है . पिटा की सहमती से अपनी दुबारा शादी कर लेती है .