बिना टिकट

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हां भाई फैजाबाद! मगर कोई न बोला तो कन्डक्टर ताव खाता बोल पड़ा , बोलते क्यों नही किसका टिकट बाकी है फ़ैजाबाद का ? अरे भाई गाड़ी बढ़ाओ . इतनी गर्मी , कि जान जा रही है. लो एक टिकट मेरा बना दो....... आगे बैठी एक सवारी ने माथे से पसीना पोंछते हुए सौ का नोट बढ़ा दिया था कन्डक्टर की ओर . फिर बस के सारे यात्री शोर मचाने लगे, गाड़ी आगे बढ़ाओ ......... चलो भाई ड्राईवर साहब टिकट बनता रहेगा ......