दिल के आंसू

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महामहिम राष्ट्र्पति महोदय से पुरस्कार लेते समय गोपाल बाबू और उनकी पत्नी भाव विभोर हो गये। उनकी नम आॅखों से चारों ओर की तस्वीर धूंधली दिखाई देने लगी , और मन-मस्तिष्क में अमित का चेहरा सजीव हो उठा। उसका मासूम सा चेहरा और उसके अत्यन्त विनम्र स्वभाव की याद दोनों को आने लगी। आज शौर्य पराक्रम का सबसे बड़ा पुरस्कार ’’परमवीर चक्र‘‘ उनके बेटे को मरणोपरान्त दिया जा रहा था। रेडियों व टेलीविजन पर उसके यशगान प्रसारित किये जा रहे थे । उस वीर ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए, अपनी जान तक न्यैाछावर कर दी थी ।