तमाशबीन

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तमाशबीन अपरार्िं दो से रात्रिा नौ बजे तक टेलीपफोन आपरेटरी करने के बाद जब मैं थका—माँदा लगभग दस बजे डेरे पर लौटा तो वहाँ का दृश्य देख एकाएक मुझे काठ मार गया । निस्तब्ध् रात का घुप्प अंध्ेरा । क्या कहूँ, क्या न कहूँ ? डेढ़ बरस की इकलौती बिटिया शिखा छटपटा रही थी और उसके साथ—साथ पत्नी रमा भी बिलख रही थी । ‘आखिर हुआ क्या ? कुछ बताओगी भी या सिपर्फ आँसू ही बहाती रहोगी ?' गुस्साकर मैंने पूछा । अब रमा सुबक—सुबककर लगी बताने कि दो—ढाई घंटे से शिखा को कै—दस्त हो रही है । बार—बार बच्ची के