माँ-बेटाः भारत पाक विभाजन की कहानियां-1

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मोहिना आँधी और पानी में रात-भर भागती रही, ठिठुरती रही और भागती रही। अँधेरा इस गजब का था कि दो कदम आगे का दरख्त तक नहीं सुझाई देता था। खेत और मेढ़, टीला और खाई, पूरब और पश्चिम, ज़मीन और आसमान—सब असीम काली दिशाओं में गुम हो गये थे। हर कदम पर उसे अन्देशा था कि मैं किसी कुएँ या नदी या नाले में न जा गिरूँ, लेकिन फिर भी वह भागती रही। बल्कि यह अन्देशा तो भागने में उसका और साहस बढ़ा रहा था।