दुल्लापुर गाँव में एक बहुत प्रसिद्ध वैद्य थे, पुन्नामल। दूर-दूर तक उनका नाम था। गुणी इतने कि लोग उन्हें धन्वंतरि समझते थे। गाँव में जिसे भी कोई तकलीफ होती, वह सीधा वैद्य पुन्नामल के पास जाता। वैद्य जी ध्यान से मरीज की बात सुनते और फिर दवा देते। वैद्य जी बोलते बहुत कम थे। पर रोग का जैसे ही पता चलता, उनकी आँखों में एक अजीब-सी चमक आ जाती। फिर झटपट वे जड़ी-बूटियाँ निकालकर पीसने लगते। छोटी-छोटी पुड़ियाँ बनाकर देते। उन्हें कैसे लेना है, क्या पथ्य-परहेज रखने हैं और क्या-क्या खाना-पीना है, इस बारे में खूब अच्छी तरह बताते। कुछ ही दिनों में मरीज ठीक हो जाता और खुशी-खुशी अपने काम में लग जाता।