Khalbali Aur Sannata

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देखते ही देखते पूरे दफ्तर में वो मनहूस खबर जंगल की आग की तरह फ़ैल गयी. सनसनी, खलबली, कुहराम जो भी नाम देना चाहें दें, मगर जो कुछ हुआ वह सिर्फ अभूतपूर्व ही नहीं था अकल्पनीय था. वैसे तो अकल्पनीय शायद कुछ भी नहीं रह गया है. बड़े बड़े शहरों में बच्चे तक टीवी पर मोमबत्तियों का जुलूस देखकर बुदबुदाते हैं ‘लो, एक और रेप और ह्त्या हो गयी.’ हिन्दी में सत्कार के हिज्जे सही न लिख पायें पर बलात्कार सही सही लिख कर दिखा देंगे.