Kathputli ka Khel

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मार्च का दूसरा हफ्ता...खुशनुमा सुबह...वक्त, करीब साढ़े दस. सड़क पर ऑफिस और दूकान पहुँचने वालों की आपाधापी करीब करीब खत्म हो चुकी है. सड़क के एक ओर बनी छोटी दुकानें खुल चुकी हैं, कुछ बड़ी दुकानें खुलने के इंतज़ार में हैं. बंद दुकानों के पहले ही पहुँच चुके ग्राहक पास ही एक चाय की गुमटी पर सर्दी का उपसंहार निभा रहे हैं. कुछ चायबाज़ ऐसे भी हैं जो बारामासी धर्म से बंधे हुए है. इन सबकी चुस्कियों में बतरस भी घना है.