Prashno ki Potli

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1. राखी (लघु कथा ) आज राखी है मुन्नी ने बोला भइया इस बार गुड़िया लूँगी ......पिछली बार भी आपने बहला फुसला कर कुछ न दिया था मुझे गणेश बोला इस बार पक्का और मुस्कुरा दिया , उसने फूल बेच कर रुपये जो जोड़ रखे थे। लेकिन दोपहर को मुन्नी को बुखार आ गया ,डॉक्टर और दवा के चक्कर मे सारे पैसे चले गए....... फिर भी उसने हार न मानी फिर से फूल बेचने निकल पड़ा , उसे विश्वाश था शाम के समय उसके सारे फूल बिक जाएंगे। और वो मुन्नी को प्यारी सी गुड़िया देगा।