parajay

  • 6.5k
  • 1
  • 1.7k

ढलती हुई धूप और आती हुई रात के मध्य ,सुहानी सी मनभाती हुई शाम , अपने-अपने घरौंदो में लौटते हुए पंछी ,टिमटिमाने को आतुर तारे , चाँद अपनी चाँदनी बिखेरने को बेचैन ,और मैं गरम चाय की प्याली अपने हाथ में लिये हुए इन सब को महसूस करती हुई अपनी बाल्कनी में बैठी थी कि इतने में अचानक फोन की घंटी बजी , उठाकर जैसे ही हेल्लो कहा दूसरी तरफ से माँ की भर्राई हुई आवाज सुनायी दी.