Sandukchi

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मिस्टर बेनर्जी अपने हाथो में अपना चेहरा पकडे सोच रहे थे कि इतना भीड़ इतने लोग तो एक साथ मेरे घर में 20 पहले भी नहीं आये थे जब केया.... तभी पीछे से छोटे भाई ने आवाज़ दी दादा इधर आओ तुम्हारे बीना कोई फैसला कैसे होगा? अपने उम्र से ज़्यादा बूढे हो चूके मिस्टर शुभाशीष बेनर्जी खुद को अपने ही पैरों पर घसीटते चल पड़े बैठक में जहाँ पूरा ख़ानदान ,नए रिश्तेदार और 'वो'थी जिसके लिए ये हलचल ये भीड़ ये सवाल और ये फैसले की घड़ी शुभाशीष सोचते जा रहे थे कि क्या सच मेरे बीना कोई फैसला किसी का रुक सका था जो आज मुझे बुला रहे ।