Adarsh Aur Majburiya

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कहानी. प्राणिमात्र का यह स्वभाव है की वह सुख चाहते हैं और खतरे से यथासम्भव बचना भी चाहते हैं. किंतु संसार में बिना जोखिम उठाये कोई काम नहीं होते.यह सभी जानते हैं, फिर उनकी यह कोशिश होती है कि कम खतरा उठाकर अधिक प्रतिफल प्राप्त किये जाय. अथवा कम प्रतिफल देनेवाले जोखिम बाद में उठाया जाये.वह टालने की प्रवृति एक सीमा में उचित है.किंतु कुछ जोखिम वैसे भी होते जिसे उठाना अनिवार्य होते हैं किंतु वह भविष्य में प्रतिफल देतें हैं.उसके प्रतिफल बहुआयामी और सदैव शुभता देने वाले होते हैं. चूँकि वह भविष्य में प्रतिफल देने वाले होते हैं इसलिए उसे बारम्बार टालने की कोशिश होती है. फिर टालने की उस कोशिश को मजबूरी का नाम देकर स्वयं (मन को)और दूसरे को समझाने के प्रयत्न किये जाते हैं.वास्तव में वह बारम्बार टालने की प्रवृति ही वास्तविक मजबूरी है.एक कहावत है कि यदि एक झूठ सौ बार दुहराये जाये तो वह सत्य सा प्रतीत होता है. इसी तरह बारम्बार मजबूरी शब्द दुहराते रहने से उत्तरोत्तर मन और हमारा कार्य क्षमता प्रभावित होता है और हमारा आत्म शक्ति भी दुर्बल हो जाते हैं.