ईमर्जेन्सी लाईट

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एमर्जेंसी लाईट संदीप मील एक बार अलवर से बेवजह ही दो लेखक दिल्ली की तरफ चल पड़े। शीतकालीन अवकाश से पहले वाले दिन जब वे कॉलेज से बाहर निकलकर बस स्टैण्ड के सामने से गुजर रहे थे तो अचानक अतुल की नज़र दिल्ली जाने वाली बस पर पड़ी। उसने नवनीत से कहा होगा कि यार छुटि्‌टयों में कहीं घूम कर आते हैं। देखो, दिल्ली की बस सामने ही खड़ी है। क्यों ना इसी में चला जाये। यह प्रस्ताव सुनते ही नवनीत ने अपनी जेब संभाली होगी जिसमें कभी भी एक एटीएम कार्ड और हजार रुपये के अलावा कुछ कागज मिल