इतिहास में नाम

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विश्वविद्यालय की कैंटीन की एक मेज पर कुछ गंभीर बातें हो रही थी ये बातें इस अर्थ में गंभीर कही जा सकती है कि मेज पर झुके आठ चेहरों पर तनाव था असल में वे इस कैम्पस में कुछ करना चाहते थे जिससे कैम्पस की जकड़न टूटे और कुछ उमंग के नज़ारे दिखे तिन दिन से इस चिंता पर चिंतन कर रहे थे और आज चौथे दिन तय कर लिया था कि भूख हड़ताल करेंगे इन आठ चेहरों में से नरपेन और इरशाद को छोड़कर कोई भी विश्वविद्यालय का छात्र नहीं था कोई किसी अखबार में नौकरी करता था, कोई किसी एनजीओ में अपनी नौकरी के फुर्सत के क्षणों में वे देश और समाज के बारे में सोचते थे किशन की कैंटीन इनका स्थाई अड्डा थी, जहां पर पांच रूपये की चाय और कभी-कभी सत्तर रूपये की व्हिस्की पीकर दुनिया बदलने के प्लान बनाये जाते थे