अन्तर्निहित - 22

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[22]“क्या हुआ सारा जी?” “ऐसा कभी मत करना। यदि यह मंजूषा बंद कर दी गई तो ..।” सारा आगे बोल न सकी। बलात उसने अपनी भावनाओं पर नियंत्रण किया, स्वयं को रोने से रोक लिया। “लीजिए, पानी पपी लीजिए।” शैल ने पानी धरा, सारा ने पी लिया। “यदि मेरी बात से आपको कोई कष्ट हुआ हो तो ...।” “नहीं शैल, ऐसी कोई बात नहीं है।”“तो आप इतनी विचलित क्यों हो गई?”“मैं तो अपनी ही बात से विचलित हो गई।”“क्या बात है? आप चाहो तो मुझे कह सकती हो।”सारा ने क्षण भर विचार किया, ‘मैं लौटकर पाकिस्तान नहीं जाना चाहती हूँ, कभी नहीं। यह बात