तन्हाई - 3

(214)
  • 1.2k
  • 1
  • 570

एपिसोड 3 तन्हाईभावनाओं की सीमाएँ और समाज का भयसंध्या के ऑफिस में अब हर दिन कुछ अलग महसूस होता था, अमर की उपस्थिति एक तरह की ऊर्जा लेकर आती थी जैसे किसी पुराने कमरे की बंद खिड़की अचानक खुल जाए और हवा अंदर आ जाए, अब दोनों के बीच कोई औपचारिक झिझक नहीं रही थी, पर एक अनकही दूरी अब भी थी वह दूरी जो समाज, उम्र और मर्यादा की दीवारों से बनी थी।ऑफिस के गलियारों में, फाइलों के बीच, बैठकों के दौरान अमर और संध्या की नज़रें अब अक्सर टकरातीं, हर बार संध्या आँखें चुराने की कोशिश करती, पर देर-सबेर