गोमती, तुम बहती रहना - 11 - बात बोलेगी हम नहीं

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      सचमुच , ज़िंदगी कठिन परीक्षा लेने की मानो प्रतीक्षा कर रही थी | यह ऐसी परीक्षा थी जिसका न कोई कोर्स था , ना गेस पेपर | सभी के जीवन में ऐसा दौर आया करता है लेकिन सबको अपना ही दौर सबसे कठिन दिखता है |मैं  अपने शारीरिक  अस्थि संबंधी रोग से तो आक्रांत था ही , मेरे दोनों बेटे भी भारतीय थल सेना के अधिकारी बनने के प्रशिक्षण के कठिनतम दौर से गुजर रहे थे | बड़े बेटे दिव्य आदित्य  पिछले दिनों लेफ्टिनेंट होकर लगभग दो साल कारगिल में बिता कर अब डोगरा रेजीमेंट की 15