महाशक्ति – दसवां अध्याय: विध्वंस का संदेशकालचक्र के रहस्यमयी द्वार के पार जाते ही अर्जुन और अनाया खुद को एक नई, अज्ञात भूमि पर पाते हैं। यहाँ की हवा में अजीब-सी बेचैनी थी, जैसे यह स्थान किसी भयानक घटना का साक्षी रह चुका हो। चारों ओर सन्नाटा पसरा था, केवल दूर-दूर तक टूटे हुए मंदिरों के खंडहर दिखाई दे रहे थे।अर्जुन ने चारों ओर नजर दौड़ाई। "यह जगह मुझे जानी-पहचानी लग रही है," उसने धीमी आवाज़ में कहा।अनाया ने सिर हिलाया। "हाँ, मुझे भी ऐसा लग रहा है, जैसे यह कभी बहुत पवित्र स्थान रहा होगा, लेकिन अब... यहाँ सिर्फ