पाठ का कुरता

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ताज़ा व्यंग्य रचना - पाठ का कुरता यशवंत कोठारी जिन्दगी में पहली  बार व्यंग्य –पाठ करने का निमंत्रण आया ,सो सोचा एक अदद कुरता तो पाठ करने के लिए होना ही चाहिए .कवि सम्मेलनों में मुशायरों में मैं कई ख्यातनाम शायरों कवियों को महंगे शानदार कुर्तों ,शेरबानियों में मंच पर देख चुका था.अचकनों का शानदार समय अब नहीं रहा .मेरा अध्ययन ये भी रहा कि श्रंगार का कवि अलग और महंगा कुरता पहनकर आता है जबकि वीर रस का कवि अपने कुरते में ही आग लगा देने की हिम्मत रखता है ,हास्य व्यंग्य का कवि हरे या  लाल रंग के