क्या इंसानियत आज भी जिंदा ? आज मैं तन्हा खरा था तो देखा एक कुत्ता जिसके पिछले टांग में चोट लगी होती है। वह एक पैर से चल नहीं पाता है ओर उस पैर से वो लंगड़ाता हुआ दौड़ता है। उसका एक टांग जैसे कोई काम का न हो उसके टांग को देखकर ऐसा लगा जैसे ये किसी इंसान का नहीं बल्कि एक हैवान ओर दरिंदा का काम हो ,, उसके पैर के ज़ख्म साफ साफ़ बयां कर रही थी कि उसके साथ बहुत जुल्म हुआ है। किसी ने बड़ी बेरहमी से मारा है उसे ,,मैं खड़ा होकर देखता रहता