नफ़रत-ए-इश्क - 22

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सुबह का बक्तसूरज की पहली किरण धरती को चूम रही थी। समंदर के किनारे रेत पर एक लड़का पीठ के वल लेटा हुआ था । उसका एक हाथ उसके सिर के पीछे और दूसरा आंखों को ढके हुए था।अचानक से मोबाइल की रिंग की आवाज से वो थोड़ा इरिटेट हुए आंखों से हाथ हटाकर रेत में इधर-उधर हाथ फेरने लगा। फोन हाथ में आते ही बिना देखे कॉल पिक कर नींद में ही बोला,"हेलो"दूसरी तरफ से एक लड़की शांत सी आवाज से ,"Hii, मैं हूं अभय ,प्रिया ।"लड़की की आवाज से अभय जो रेत पर बेसुद्ध लेटा हुआ था ,बिना