..जुन्नूनियत..सी..इश्क.. (साजिशी इश्क़) - 4

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...!!जय महाकाल!!...   अब आगे...!!!   यहां द्रक्षता को कार्तिक ने होटल ड्रॉप कर दिया था.....द्रक्षता ने उसे थैंक्स कहा..... तो कार्तिक ने मुस्कुराते हुए कहा:इसकी कोई जरूरत नहीं है.....तुम तो मेरी दोस्त हो.....और दोस्तो के बीच ये सॉरी थैंक्स जैसे वर्ड्स एग्जिट नहीं करते.....ओके तुम जाओ.....तुम्हे लेट हो रहा होगा.....!! तो वोह वहां से चली गई.....ओर अंदर जाकर अपने काम जुट चुकी थी..... बाहर कार्तिक जब तक वो अंदर ना चली गई.....वो उसे तब तक देखता रहा..... अपने आप वो बड़बड़ाया:कब वो दिन आयेगा.....जब मैं तुम्हे अपने एहसासों के बारे में बता पाऊंगा.....काश तुम्हे बताने की हिम्मत जुटा पाता.....लेकिन