शीत लहर मिलन के वादे से दिल में मीठी शीत लहर छा गई l ख़त में लिखीं हुई सजने संवरने की बात भा गई ll सारी क़ायनात को ख़त का पता चल गया है कि l आज खुली खिड़की पर बैठ कोयल गीत गा गई ll अंग अंग तन मन में खुशी से तबस्सुम फैल गया l गुलाबो सी गुलाबी लाल सुर्खी गालों पर ला गई ll अब क्या बताऊँ कितने ऊँचे आसमान में उड़ रहा l हृदय को चैन औ सुकूं की नशीली ठंडक पा गई ll मधुर रसीली सी मुलाकात की तैयारियों में ही