नफ़रत-ए-इश्क - 18

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विराट हाथों में शराब का गिलास पकड़ कर एक टक बस तपस्या को ही देखे जा रहा था ।और जैसे ही सिद्धार्थ ने तपस्या को रिंग पहनाया पूरे हॉल में तालियों की गूंज सुनाई देने लगी ।विराट ने अपने हाथों में पकड़े हुए ग्लास को हाथों में ही कस लिया। ग्लास टूटकर कुछ उसके हाथों में लगे और कुछ फर्श पर बिखर गए ।कांच लगने से हाथों से बेतहाशा खून बहने लगी। वही खडा एक वेटर फिक्र भर आवाज में उसके और आते हुए बोला,"सर छोड़िए कांच को ।आपके हाथों से खून बह रहा है।"कहते हुए वो विराट के हाथों