सूरज के जीवन में बदलाव की कहानी हर उस इंसान के लिए है जो कभी अपने दिल की बात खुद से भी छुपा लेता है। अनामिका की किताबें सूरज के लिए एक दर्पण बन गई थीं, जिसमें वो अपना असली चेहरा देख सकता था। आज, दो महीने हो चुके थे, जब उसने पहली बार अनामिका की किताब उठाई थी। इन दो महीनों ने सूरज को भीतर तक बदल दिया था।उसकी आँखों में अब एक नई चमक थी। वो जो पहले अपनी भावनाओं को शब्दों में ढालने की हिम्मत नहीं कर पाता था, अब अपनी माँ और बहन के सामने कविताएँ