अनामिका सोच रही थी कि राजीव के पापा मम्मी को तो केवल पैसे कमाने की ही पड़ी है दो मिनट रुक कर उसे देखा तक नहीं और चले गए। ऐसे शराबी के साथ जीवन बिताना कितना मुश्किल है। तभी उसके इन विचारों पर अचानक ब्रेक लग गया, जब जोर-जोर से दरवाज़ा खटखटाने की आवाज़ सुनाई दी। राजीव जाग चुका था और अपने आप को कमरे में बंद पाकर उसका गुस्सा तीव्र गति से बढ़ता जा रहा था। अनामिका ने जाकर दरवाज़ा खोला। दरवाज़ा खुलते से राजीव ने बिना कुछ सोचे, बिना कुछ समझे, अपने अनियंत्रित गुस्से के काबू में आकर