जैसे-जैसे प्रेगनेंसी का समय बढ़ रहा था साँझ की तकलीफें भी बढ़ती जा रही थी। पर अब वह अंदर से स्ट्रांग थी और डॉक्टर ने क्लियर कर दिया था कि अब ऐसा कोई भी रिस्क नहीं है। इसलिए वह घर में थोड़ा बहुत चलती फिरती भी थी और कभी कभी अक्षत के साथ बाहर भी चली जाती थी, जब भी उसका मन कुछ अपनी पसंद का तिखा या चटपटा खाने का होता। देखते ही देखते प्रेगनेंसी का पूरा समय निकल गया और आज सांझ हॉस्पिटल में थी। उसकी कंडीशन को देखते हुए डॉक्टर ने सिजेरियन ही सजेस्ट किया था और सिजेरियन