सुरज ने अपनी दिनचर्या में बदलाव लाना शुरू कर दिया था। अब वह हर रोज़ अपनी सुबह की शुरुआत अनामिका की किताबों से करता था। पहले जो लड़का बहुत कम बोलता था, अब वही लड़का अपनी माँ और बहन को अनामिका की कविताएँ सुनाता था। सुरज की माँ और बहन, तारा, उसे देखकर हैरान हो गईं थीं। तारा हमेशा अपने भाई के चेहरे पर एक गहरी उदासी देखती थी, लेकिन अब उसने सुरज को एक अलग ही उत्साह और खुशी के साथ देखा।एक दिन, जब सुरज अपनी माँ और बहन के साथ बैठकर अनामिका की एक कविता पढ़ रहा था,