किताब - एक अनमोल खज़ाना

पुस्तक या मोबाइल "मित्र! तुम दिन भर पढ़ते रहते हो! आज रविवार है। यहाँ सब लोग खेलने आये हैं। एक ही दिन मिलता है खेलने को। हर दिन तो स्कूल जाना ही पड़ता है। किताबें पढ़नी ही पढ़ती हैं। चाहे टीचर के डर से, चाहे अभिभावक के डर से या दोस्त हँसी उड़ा रहा है, इसके डर से। कभी न कभी पढ़ना ही पड़ता है, पर आज तुम्हें देखकर मुझे गुस्सा आ रहा है। मैं इतनी मेहनत से खेल की टीम बटोर कर लाया हूँ और तुम अपने साथ किताब लाकर यहाँ बैठकर पढ़ रहे हो? चलो क्रिकेट खेलते हैं।" "मोनू! मेरा