एक अनकही दास्तान

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कॉलेज का पहला दिन था। मैं हमेशा की तरह सबसे आगे की बेंच पर जाकर बैठ गया। यही मेरी आदत थी। क्लास शुरू होने से कुछ मिनट पहले, एक लड़की क्लासरूम में अन्दर आई। यह पहली बार था जब मेने उसे देखा था - सलिखे से सेट किये हुए लंबे घुंघराले बाल, बड़ी-बड़ी काली आंखें, और होठों पर वो मासूम लेकिन हल्की-सी शरारती मुस्कान! उसकी चाल में एक आत्मविश्वास झलक रहा था। वो मेरे पास से गुजरी और पीछे वाली बेंच पर बैठ गई। मैं उसे चुपके चुपके कनखियों से देख रहा था, और शायद उसने भी मेरी नजरों को